
" प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जिस जलवे पर पार्टी तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही वह अब वह उतार पर है"
अनिल वर्मा
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार भाजपा की बड़ी तैयारी है। इसके लिए प्रदेश स्तर पर कम लेकिन भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लंबे समय से रणनीति बनाए हुए है। इसके तहत ही केंद्र के साथ -साथ भाजपा के प्रदेश नेता हर रोज सतारूढ़ आप पार्टी और विशेषकर इसके मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप मढ़ते हैं। भाजपा की सोच है कि लंबे समय तक केजरीवाल और आप पार्टी पर भ्रष्टाचारी होने के आरोप उनके छवि को खराब करने में सहायक होगे और भाजपा जरूर इसमे सफल होगी। इसी रणनीति के तहत सरकार इसके मुखिया केजरीवाल और मंत्रियों पर गत तीन -चार वर्षों के तरह-तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। भाजपा अपनी इस रणनीति के तहत कितनी सफल होती है यह देखना अभी बाकी है ।मध्यम वर्ग पहले जहां पूरी तरह से भाजपा का वोटर माना जाता था , वहीं अब पिछले दस बारह वर्षों से उसका बड़ा वर्ग अब आप पार्टी का वोटर बन चुका है। अपने भ्रष्टाचार अभियान के तहत भाजपा मथ्यम वर्ग में फूट डालने में कामयाब दिखती है । भाजपा की असली परीक्षा गरीब और झुग्गी – झोपड़ी वर्ग के वोटर की लेकर है, जिसका बङा हिस्सा जो अभी भी केजरीवाल की आप पार्टी का समर्थक है।
भाजपा के नेतृत्व का मानना है की केजरीवाल सहित पूरी आप पार्टी को भ्रष्टाचारी ठहराने और इसके बड़े नेताओं के शराब घोटाले सहित अन्य आरोपों में जेल में बंद होने का लाभ उसे लोकसभा चुनावों में मिला है। भाजपा लगातार तीसरी बार प्रदेश की सभी सात सीटें जीतने में सफल रही।
दिल्ली में लगातार लोकसभा की सभी सीटें जीतने के बावजूद भाजपा लगातार दो विधानसभा चुनाव में आप से बुरी तरह हारी।इसके पूर्व वह लगातार तीन बार कांग्रेस से हरी थी। इस तरह 25 वर्षों से ज्यादा समय से सत्ता से बाहर भाजपा को लगता है की इसका इंतजार बहुत लम्बा हो चुका है और इस बार दिल्ली की जनता उसे प्रदेश की सत्ता सौंप देगी।।
भाजपा की यह सोच ही उसके कार्यकताओं में जोश भरे हुए है,लेकिन वास्तविकता यह है की पार्टी का संगठन अब इतना कमजोर हो चुका है की इसके दम पर विधानसभा चुनाव जीतना बहुत कठिन है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जिस जलवे पर पार्टी तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही वह अब वह उतार पर है। दिल्ली विधानसभा के जो 2 चुनाव भाजपा हारी हालांकि वे भी प्रधानमंत्री क्षी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे लगे गये धन लेकिन देशभर मे जलवा दिखाने वाले मोदी दिल्ली मे करिश्मा नही कर पाये।
दिल्ली में भाजपा केवल इसलिए जिंदा दिखती है की वह केंद्र में सत्ता में है।वास्तविकता यह है कि गत दस वर्षों से संगठन मनोनित नेताओ के दम पर चल रहा है,और पार्टी के असली कार्यकर्ता किनारा कर चुके हैं।अब भाजपा में सत्ता के साथ रह कमाई करने वालों की ‘भारी भीड़’ विधानसभा में भाजपा को कितनी सीट दिला पायेगी यह तो जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।