
चेन्नई, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का वैक्यूम इग्निशन परीक्षण एलवीएम-3 प्रक्षेपण यान में सफलतापूर्वक किया है जिसका उपयोग पहले मानव उड़ान मिशन गगनयान के लिए किया जाएगा।
इसरो ने शनिवार को कहा कि उसने एलवीएम3 के ऊपरी चरण को संचालित करने वाले स्वदेशी सीई20 क्रायोजेनिक इंजन का इग्निशन परीक्षण सफलतापूर्वक किया जिसमें वैक्यूम स्थितियों में मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर था जो अंतरिक्ष की वैक्यूम स्थिति में इंजन इग्निशन का अनुकरण करता है।
यह परीक्षण शुक्रवार को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में उच्च ऊंचाई परीक्षण सुविधा में किया गया। परीक्षण के दौरान इंजन थ्रस्ट चैंबर का प्रज्वलन वैक्यूम में मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर के साथ किया गया। टैंक दबाव की स्थितियों के तहत जो उड़ान में क्रायोजेनिक इंजन को फिर से शुरू करने के समय होने की उम्मीद है। परीक्षण के दौरान इंजन और सुविधा का प्रदर्शन सामान्य और उम्मीद के मुताबिक था।
उन्होंने बताया कि क्रायोजेनिक इंजन को फिर से शुरू करना स्वाभाविक रूप से जटिल है और पुनरारंभ संचालन से संबंधित अध्ययनों के हिस्से के रूप में इसरो संग्रहित गैस प्रणाली के बजाय बूटस्ट्रैप मोड में टर्बोपंप की शुरुआत की खोज कर रहा है। इस दृष्टिकोण में थ्रस्ट चैंबर और गैस जनरेटर दोनों को टैंक हेड स्थितियों के तहत फिर से प्रज्वलित करने की उम्मीद है।
इसरो ने उड़ान के दौरान कई क्रायोजेनिक इंजन को फिर से शुरू करने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में बूटस्ट्रैप मोड में इंजन शुरू करने के उद्देश्य से परीक्षणों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की है। इससे पहले मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का उपयोग करके इंजन इग्निशन परीक्षण वैक्यूम चैंबर के बाहर जमीनी परिस्थितियों में किया गया था। यह इंजन सिंगल स्टार्ट के साथ उड़ान में 19 से 22 तक के थ्रस्ट लेवल के लिए काम करने के लिए पहले से ही योग्य है और गगनयान मिशन के लिए भी योग्य है। इस इंजन को इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर द्वारा विकसित किया गया था।