
पीएचक्यू ने सभी पुलिस अधीक्षको को जारी किया सर्कुलर
भोपाल । ऐसी सेक्स वर्कर जो अपनी मर्जी से देह व्यापार में लिप्त है, उन्हें दबिश के दौरान पुलिस न तो गिरफ्तार कर सकेगी और न ही आरोपी बना सकेगी। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने एक सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट के पारित एक आदेश का हवाला दिया है। यह सर्कुलर पुलिस मुख्यालय में स्थित महिला सुरक्षा शाखा की तरफ से विशेष पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से 3 अप्रैल को जारी हुआ यह सर्कुलर सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। आदेश की कॉपी भोपाल-इंदौर पुलिस कमिश्नर के अलावा सभी पुलिस अधीक्षकों को जारी किया गया है। सर्कुलर में नई गाइडलाइन जारी की और भोपाल, इंदौर पुलिस कमिश्नर के साथ ही सभी जिलों के एसपी को भेजी। इसके अनुसार यदि होटल और ढाबों में अनैतिक व्यापार किये जाने की सूचना पर यदि पुलिस दबिश देती है, तो केवल होटल या ढाबा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी न कि वहां पकड़ी गई महिलाओं के खिलाफ। सर्कुलर में लिखा है, कि कुछ जिलों में अनैतिक व्यापार अधिनियम के तहत पंजीबद्ध अपराध में होटल एवं ढाबों के संचालकों द्वारा पैसा लेकर होटल एवं ढाबों के कमरों को, वेश्यालयों के रूप में चलाया जा रहा है। ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा दबिश देने के बाद बरामद की गई महिलाओं को आरोपी बनाया जाता है। पीएचक्यू ने आदेश दिया है, कि सुप्रीम कोर्ट में पारित एक फैसले के बाद देह व्यापार में शामिल महिलाओं को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है। इस संबंध में पिटीशन 2010 में दाखिल हुई थी। जिस पर वैश्यालयों पर दबिश की दशा में स्वैच्छिक लैंगिक कार्य अवैध नहीं हैं। केवल वैश्यालय चलाना अवैध हैं। सेक्स वर्कर को गिरफ्तार दंडित अथवा परेशान नहीं करना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया है कि पुलिस मुख्यालय के सामने यह बातें सामने आई है कि होटल और ढ़ाबों में अनैतिक देह व्यापार के संचालन में वहां पकड़ाई महिलाओं को आरोपी बनाया गया है। आदेश में कहा गया है, कि यदि होटल और ढाबों में अनैतिक व्यापार किया जा रहा है, तो केवल होटल या ढाबा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। गाइडलाइन में साफ लिखा है, कि वहां काम करने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट के बुद्धदेव कर्मास्कर विरुद्ध पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य में मामले में दिए आदेश का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि वेश्यालयों पर छापों के दौरान यह ध्यान रखा जाए कि स्वेच्छा से लैंगिक कार्य करना अवैध नहीं है।